स्थान : शलीमपुर रिफिलिंग सेंटर का इलाका
दिन: 8 नवंबर 2012
थाना: लेक
घटना : बेटी को पटाखा दिलाने के लिये कैंसर मरीज पिता हुआ चोरी को मजबूर
जान जोखिम में डाल निकला ऑटो चलाने
दीपावली के कारण दीपंकर की आठ वर्षीय बेटी ने कुछ दिनों से घर में पटाखा खरीदने की जिद कर रही थी. शुरुआती दिनों में परिवार के बाकी सदस्य उसे समझा-बुझाकर शांत करवा देते थे. सात नवंबर की रात को उस मासूम ने पिता के सामने पटाखा खरीदने की जिद की. शुरुआत में बातों से ना समझने के कारण बाध्य होकर दीपंकर ने थप्पड़ जड़कर उसे चुप करवा दिया. बाद में पछतावा होने पर वह बेटी के पटाखा लाने की मांग को पूरा करने के लिए जान जोखिम में डालकर अपने एक पुराने दोस्त से ऑटो लेकर बाजार में निकल पड़ा.
कैंसर से पीड़ित होने के कारण चोरी करने को हुआ मजबूर
बेटी के पटाखे की ख्वाहिश व घर में दीपावली के लिये सामान लाने के उद्देश्य से दीपंकर ऑटो लेकर बाहर तो निकल पड़ा, लेकिन उसके शरीर ने उसका साथ नहीं दिया. शारीरिक कमजोरी के कारण कुछ दूर जाने पर उसे कमजोरी महसूस होने लगी. उसके बावजूद वह ऑटो चलाते हुये कुछ आगे निकला. सलीमपुर के पास पहुंचने पर उसे रास्ते में एक गैस रिफिलिंग सेंटर के पास एक भरा सिलेंडर पड़ा मिला. उसे चुराकर बेचने पर मिलने वाले पैसों से बेटी को पटाखा खरीदने की बातें सोच उसने वह सिलेंडर चुरा लिया. किस्मत की दगाबाजी के कारण आसपास के लोगों ने उसे चोरी करते हुये रंगे हाथों पकड़कर लेक थाने के हवाले कर दिया.
चोरी का कारण सुन पुलिस अधिकारियों के आंखों से निकल पड़े आंसू
पति के गिरफ्तार होने की जानकारी पाकर थाने पहुंची पत्नी मीठू ने पुलिस अधिकारियों के सामने चोरी के पीछे के कारणों की जानकारी दी. बेटी की ख्वाइश को पूरा करने के लिये एक पिता के इस रास्ते को चुनने को मजबूर होने की बात जान पुलिस अधिकारियों के आंखों से आंसू छलक पड़े. अधिकारियों ने दीपंकर के मेडिकल जांच व चिकित्सा के कागजात को भी पढ़ा. इसके बाद शिकायतकर्ताओं को इसकी जानकारी दी गयी. दीपंकर ने बताया कि बेटी के चेहरे पर मुस्कान की एक झलक पाने के लिये उसने पहले मेहनत का रास्ता चुना था. रास्ते में तबियत बिगड़ जाने के कारण एक पल भी उससे ऑटो चलाया नहीं जा रहा था. जेब में रखे चंद रुपयों से बेटी के लिये पटाखे नहीं मिल पाते, लिहाजा उन्हें यह तरीका चूनने को मजबूर होना पड़ा.
बेटी को खुशियां दिलाने के पीछे के कारणों को जान पुलिस को भी अंत में उस पर दया आ गयी और शिकायतकर्ताओं ने अपना शिकायत वापस ले लिया, जिसके बाद कानूनी उलझन में पड़ने से पहले ही लेक थाने के अधिकारियों ने आर्थिक मदद देकर उसे घर भेज दिया. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आम घटनाओं में पुलिस अपराधियों को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करती है. लेकिन इस गुनाह के पीछे की बेबसी और लाचारी के कारणों को सुनने के बाद उनका दिल भी पसीज गया. दीपंकर के खिलाफ शिकायत करने वालों को भी सारी बातें बतायी गयी, जिसके बाद उनके द्वारा शिकायत वापस लेने के बाद ही दीपंकर को रिहा कर घर भेजा गया. जिससे मुसीबत की इस घड़ी में वह अपने परिवार का साथ पा सकें.
थाना: लेक
घटना : बेटी को पटाखा दिलाने के लिये कैंसर मरीज पिता हुआ चोरी को मजबूर
विकास गुप्ता
समाज में किसी ना किसी हालात से मजबूर होकर ही व्यक्ति गुनाह के रास्ते पर अनजाने में चल पड़ता है. जब तक उसे इस बात का एहसास होता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और पछतावे का मार्ग भी तब तक बंद हो चुका होता है. लेकिन उसके लिये ऐसा नहीं हुआ. उसकी बेबसी पर हालात के साथ कुदरत को भी रोना आया और अंत में कानून ने खुद के उलझन में पड़ने से पहले ही उसे रिहा कर दिया. घटना लेक इलाके की है. पंडितिया रोड में रहने वाले पेशे से ऑटो चालक दीपंकर सरकार (35) को गत मार्च महीने में गले में कैंसर होने का पता चला था. उसके इस बीमारी की जानकारी के बाद उसके परिवार पर मुशीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. डॉक्टरों की सलाह पर उसे ऑटो चलाना छोड़ना पड़ा. इस बीमारी के कारण मार्च से लेकर अब तक केमोथेरेपी ने उसे 20 हजार रुपये का कजर्दार भी बना दिया था. बीमारी के बाद से दीपंकर की पत्नी मीठू सरकार व उसकी मां को दूसरों के घर में कामकाज कर घर खर्च चलाने को मजबूर होना पड़ा.जान जोखिम में डाल निकला ऑटो चलाने
दीपावली के कारण दीपंकर की आठ वर्षीय बेटी ने कुछ दिनों से घर में पटाखा खरीदने की जिद कर रही थी. शुरुआती दिनों में परिवार के बाकी सदस्य उसे समझा-बुझाकर शांत करवा देते थे. सात नवंबर की रात को उस मासूम ने पिता के सामने पटाखा खरीदने की जिद की. शुरुआत में बातों से ना समझने के कारण बाध्य होकर दीपंकर ने थप्पड़ जड़कर उसे चुप करवा दिया. बाद में पछतावा होने पर वह बेटी के पटाखा लाने की मांग को पूरा करने के लिए जान जोखिम में डालकर अपने एक पुराने दोस्त से ऑटो लेकर बाजार में निकल पड़ा.
कैंसर से पीड़ित होने के कारण चोरी करने को हुआ मजबूर
बेटी के पटाखे की ख्वाहिश व घर में दीपावली के लिये सामान लाने के उद्देश्य से दीपंकर ऑटो लेकर बाहर तो निकल पड़ा, लेकिन उसके शरीर ने उसका साथ नहीं दिया. शारीरिक कमजोरी के कारण कुछ दूर जाने पर उसे कमजोरी महसूस होने लगी. उसके बावजूद वह ऑटो चलाते हुये कुछ आगे निकला. सलीमपुर के पास पहुंचने पर उसे रास्ते में एक गैस रिफिलिंग सेंटर के पास एक भरा सिलेंडर पड़ा मिला. उसे चुराकर बेचने पर मिलने वाले पैसों से बेटी को पटाखा खरीदने की बातें सोच उसने वह सिलेंडर चुरा लिया. किस्मत की दगाबाजी के कारण आसपास के लोगों ने उसे चोरी करते हुये रंगे हाथों पकड़कर लेक थाने के हवाले कर दिया.
चोरी का कारण सुन पुलिस अधिकारियों के आंखों से निकल पड़े आंसू
पति के गिरफ्तार होने की जानकारी पाकर थाने पहुंची पत्नी मीठू ने पुलिस अधिकारियों के सामने चोरी के पीछे के कारणों की जानकारी दी. बेटी की ख्वाइश को पूरा करने के लिये एक पिता के इस रास्ते को चुनने को मजबूर होने की बात जान पुलिस अधिकारियों के आंखों से आंसू छलक पड़े. अधिकारियों ने दीपंकर के मेडिकल जांच व चिकित्सा के कागजात को भी पढ़ा. इसके बाद शिकायतकर्ताओं को इसकी जानकारी दी गयी. दीपंकर ने बताया कि बेटी के चेहरे पर मुस्कान की एक झलक पाने के लिये उसने पहले मेहनत का रास्ता चुना था. रास्ते में तबियत बिगड़ जाने के कारण एक पल भी उससे ऑटो चलाया नहीं जा रहा था. जेब में रखे चंद रुपयों से बेटी के लिये पटाखे नहीं मिल पाते, लिहाजा उन्हें यह तरीका चूनने को मजबूर होना पड़ा.
बेटी को खुशियां दिलाने के पीछे के कारणों को जान पुलिस को भी अंत में उस पर दया आ गयी और शिकायतकर्ताओं ने अपना शिकायत वापस ले लिया, जिसके बाद कानूनी उलझन में पड़ने से पहले ही लेक थाने के अधिकारियों ने आर्थिक मदद देकर उसे घर भेज दिया. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आम घटनाओं में पुलिस अपराधियों को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करती है. लेकिन इस गुनाह के पीछे की बेबसी और लाचारी के कारणों को सुनने के बाद उनका दिल भी पसीज गया. दीपंकर के खिलाफ शिकायत करने वालों को भी सारी बातें बतायी गयी, जिसके बाद उनके द्वारा शिकायत वापस लेने के बाद ही दीपंकर को रिहा कर घर भेजा गया. जिससे मुसीबत की इस घड़ी में वह अपने परिवार का साथ पा सकें.