राहुल मिश्र, कोलकाता
-----------------------
गुड़िया सिलीगुड़ी, दीया कोलकाता और प्रिया दुर्गापुर में रहती है. तीनों बिहार से बंगाल में आ बसे परिवार की बेटियां हैं. उम्र अलग, परिवार अलग और जगह अलग होने के बावजूद परिस्थिति लगभग एक सी है. इन दिनों तीनों बहुत घबड़ायी हुई है, क्योंकि उनके जीवन का सबसे बड़ा फैसला घरवालों ने कर दिया है. कुछ महीनों में उनकी शादी कर दी जायेगी. शादी के लिए सामथ्र्य से अधिक दहेज मांगा गया है, जिसे देने के लिए परिवारवालों ने हामी भी भर दी है.
गुड़िया अभी 17 की है, बचपन में पिता गुजर गये और दो साल पहले मां भी छोड़ गयी. भैया-भाभी स्कूल नहीं भेज सके, क्योंकि उनके बच्चों की पढ़ाई में बहुत खर्च हो रहा था. घर के काम से फुरसत में सहेली संग खेल लेती है. मां की मौत के बाद से चाचा अक्सर भैया को फोन पर कहते- गुड़िया बड़ी हो रही, कोई गलत कदम न उठा ले, इसीलिए जल्द किसी न किसी संग इसे बांध दो. ऐसा कहना वह अपनी जिम्मेदारी समझते. उन्होंने ही लड़का देखा और शादी की बात भी पक्की हो गयी. आंगन में उछल-कूद मचानेवाली दुबली सी मासूम गुड़िया जब से सुनी है, उससे 10 साल बड़े लड़के से उसकी शादी हो रही है और वह शराब भी पीता है. वह सहम सी गयी है.
प्रिया के पिता रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं. बड़ी बेटी की शादी में जमा रकम खत्म हो गयी थी. मासिक वेतन घर खर्च, बेटे और छोटी बेटी प्रिया की पढ़ाई में चला जाता. प्रिया 25 की हो गयी. खूब लड़के ढूंढे, लेकिन दहेज की मांग इतनी होती कि हौसला टूट जाता. प्रिया शिक्षित, समझदार और सुंदर भी है. दहेज को लेकर घर में चर्चा से उसे समाज पर घिन्न आती है. वह सोचती है, जिनके परिवारवाले इतना तक कह देते हैं कि हमसे रिश्ता जोड़ना है तो इतना तो देना ही होगा. नहीं तो राम-राम, लड़कियां हजार मिलेंगी. ऐसे लोग क्या कभी उसकी भावनाओं का कद्र कर पायेंगे. कॉलेज के जमाने से एक लड़का उसे पसंद करता है. उसे समझने की कोशिश करता है. लेकिन पिता के सम्मान की खातिर उसने संबंध आगे नहीं बढ़ने दिया. पर न जाने आगे क्या होगा ?
और, 20 वर्षीय दीया कोलकाता में 12वीं की छात्र है. बड़ा भाई शादीशुदा है, पिता पूजा-पाठ करते हैं. ब्राह्मण परिवार की यह लड़की पड़ोस के युवक संग घर से चली गयी थी. लेकिन घरवालों ने जब फोन पर उसी लड़के से शादी करवाने का वादा किया. वह लौट आयी. लौटने पर दोनों की जम कर पिटाई की गयी. अब घरवाले दीया की शादी जल्द से जल्द एक ब्राह्मण लड़के से करवाने की तैयारी में है. इस बीच लड़की बार-बार खुदकुशी को कोशिश कर रही है और लड़के के सिर पर खून सवार है.
तीनों की कहानी बताती है, बेटियां आज भी थोपे गये फैसले मानने को मजबूर है. शादी जीवन का सबसे बड़ा फैसला है, क्योंकि बाकी बचा जीवन उसे उसी व्यक्ति के साथ गुजारना होगा, जिसे आपने किसी तरह उसके लिए चुन दिया है. अगर इसी तरह फैसले थोपेंगे, तो देखना, एक दिन आपकी प्यारी गुड़िया कहीं खो जायेगी, प्रिया रूढ जायेगी और दीया बुझ जायेगी. क्या ऐसा नहीं हो सकता कि बेटे की तरह ही बेटी को फैसला लेने के लायक बनाये. उसे उतना ही समय, आजादी और समर्थन दें. कहीं ऐसा नहीं कि आप बेटियों से प्यार ही नहीं करते, या फिर डरते हैं कि बेटियां फैसला लेने लगेंगी तो इज्जत चली जायेगी या फिर प्रभुत्व.
 
Top