संस्कृत का उद्गम

  • ३२२ ईसा पूर्व - मौर्यों द्वारा ब्राह्मी लिपि का विकास।
  • २५० ईसा पूर्व - आदि संस्कृत का विकास। (आदि संस्कृत ने धीरे धीरे १०० ईसा पूर्व तक प्राकति का स्थान लिया ।)
  • ३२० ए. डी. (ईसवी)- गुप्त या सिद्ध मात्रिका लिपि का विकास ।

अपभ्रंश तथा आदि-हिन्दी का विकास

अपभ्रंश का अस्त तथा आधुनिक हिन्दी का विकास

  • १२८३ - अमीर ख़ुसरो की पहेली तथा मुकरियाँ में "हिन्दवी" शव्द का सर्वप्रथम उपयोग।
  • १३७० - "हंसवाली" की आसहात ने प्रेम कथाओं की शुरुआत की।
  • १३९८-१५१८ - कबीर की रचनाओं ने निर्गुण भक्ति की नींव रखी।
  • १४००-१४७९ - अपभ्रंश के आखरी महान कवि रघु
  • १४५० - रामानन्द के साथ "सगुण भक्ति" की शुरुआत।
  • १५८० - शुरुआती दक्खिनी का कार्य "कालमितुल हकायत्" -- बुर्हनुद्दिन जनम द्वारा।
  • १५८५ - नवलदास ने "भक्तमाल" लिखी।
  • १६०१ - बनारसीदास ने हिन्दी की पहली आत्मकथा "अर्ध कथानक" लिखी।
  • १६०४ - गुरु अर्जुन देव ने कई कवियों की रचनाओं का संकलन "आदि ग्रन्थ" निकाला।
  • १५३२-१६२३ - गोस्वामी तुलसीदास ने "रामचरित मानस" की रचना की।
  • १६२३ - जाटमल ने "गोरा बादल की कथा" (खडी बोली की पहली रचना) लिखी।
  • १६४३ - आचार्य केशव दास ने "रीति" के द्वारा काव्य की शुरुआत की।
  • १६४५ - उर्दू का आरंभ

आधुनिक हिन्दी

 
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