• -आठ साल बाद भी लापता फ्लाईट इंजीनियर का सुराग नहीं

  • - पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन से 16 नवंबर 2004 से है लापता

                         

  1. प्रधानमंत्री के नाम एक मासूम का पत्र




  -आद्या झा (निक्की)
पीएम अंकल,
मेरा पापा दे दो ना, प्लीज. मुङो पता है, मेरे पापा संजय कुमार झा आप लोगों के पास ही हैं. उन्हें आप लोगों ने कहीं छिपा दिया है. आप लोग झूठ कहते हैं, वह खो गये हैं. वह कोई बच्च हैं या गुड़िया जो खो जायेंगे. आठ साल हो गये. अब और मजाक मत कीजिये. देखो ना, मैं भी अब आठ साल की हो गयी. लेकिन पापा को सिर्फ फोटो में ही देखा है. मम्मी-दादी से जब भी पूछती हूं, पापा कब आयेंगे, तो हमेशा कहती हैं, बाबू, जल्दी आ जायेंगे. और न जाने क्यों रोने लगती हैं. सभी लोग कहते हैं कि पापा जहां पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन में डय़ूटी कर रहे थे, वहां से खो गये. हमें इतना बेवकूफ समझते हैं क्या ? मम्मी पूरी-पूरी रात सोती नहीं. पापा के लिए रोती हैं. नानी कह रही थी, पापा-मम्मी की शादी के कुछ ही महीने हुए थे. पापा, मम्मी को बहुत प्यार भी करते थे. दादी कहती है, जब पापा को पता चला कि मैं मां की पेट में हूं, बहुत खुश हुए थे.  मैं पापा का रोज इंतजार करती हूं लेकिन पता नहीं वह कहां हैं. अब मैं छोटी से बड़ी हो गयी. मुङो पापा से मिलना है, उन्हें मेरे पास भेज दो. आप कहते हैं कि वो खो गये, तो आपके पास तो पुलिस और बहुत सारे लोग हैं. आप चाहेंगे तो वह इस देश में कहीं भी होंगे, मिल जायेंगे.
पीएम अंकल, आप लोग इतने बड़े होकर झूठ क्यों बोलते हैं. चाचू कहते हैं, पहले आप लोगों ने झूठा ही कह दिया कि उस दिन पापा डय़ूटी छोड़ कर भाग गये. फिर जब कोर्ट ने डांटा, तो पांच साल बाद बोले कि वह खो गये. आप लोग तो झूठ बोल देते हैं, लेकिन आपकी झूठी बात से हम लोगों को कितनी तकलीफ होती है. आप लोग इतने गंदे क्यों हैं. साफ-साफ बता क्यूं नहीं देते. उस दिन पापा के साथ क्या किया आप लोगों ने ? कहां गये मेरे पापा ?
आठ साल बहुत लंबा वक्त है. मां आज भी सिंदूर लगाते समय रोने लगती है. दादी कभी हंसती नहीं. दादाजी खोये-खोये रहते हैं. किसी से बात नहीं करते. चाचू व नानाजी पापा का पता लगाने के लिए हमेशा आप लोगों को चिट्ठी लिखते हैं. मोटी-मोटी फाइल लेकर आपके नेताजी लोगों के पास बार-बार जाते हैं. वह थक जाते हैं. मुङो भी रोना आता है. जब रानी के पापा उसे प्यार करते हैं, तो मुङो अच्छा नहीं लगता. देखो, आप लोग मेरे पापा को मेरे पास भेज दो. प्लीज. नहीं तो मुङो बता दो, वह कहां हैं. मैं चाचू के साथ चली जाउंगी उनसे मिलने.
                                                                                               -आद्या झा (निक्की)

क्या है मामला


सार्जेट संजय कुमार झा, फ्लाईट इंजीनियर, 16 नवंबर 2004 से अपने कार्यस्थल एयरफोर्स स्टेशन पठानकोट से लापता है. वह 1997 से भारयीत वायुसेना में कार्यरत था. 2004 के जुलाई से वह फ्लाइट इंजीनियर के रूप में 125, हेलीकॉप्टर स्क्वाड्रन, एयरफोर्स स्टेशन, पठानकोट में पदस्थापित था, लेकिन 16 नवंबर 2004 से रहस्यमय परिस्थिति में वह अपने कार्यस्थल से लापता है.

- मूल रूप से बिहार के मधुबनी के रहनेवाले हैं संजय
लापता संजय कुमार झा, पिता दुर्गानंद झा मूल रूप से बिहार के मधुबनी जिला अंतर्गत पंडौल थाना के नाहर गांव निवासी है. फिलहाल, उनका पूरा परिवार पश्चिम बंगाल के हावड़ा में ही रहता है.  

 - मामले में विभाग की भूमिका संदेहास्पद
संजय के लापता होने के एक महीने बाद वायुसेना की कोर्ट ऑफ इनक्वायरी ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया. इसके बाद परिजनों द्वारा इस संदर्भ में संबंधित विभाग व भारत सरकार को सैकड़ों पत्र देकर लापता मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की गयी, लेकिन विभागीय खानापूर्ति के सिवाय कुछ नहीं हुआ. परिजनों की मांग पर वायुसेना द्वारा फिर कोर्ट ऑफ इंक्वायरी हुई, लेकिन संजय को भगोड़ा ही माना गया. 

- पांच साल बाद माना लापता
अंतत: दिसंबर 2008 में संजय की पत्नी ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर श्री झा की गुमशुदगी की जांच कराने व परिवार को विभागीय सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की. हाइकोर्ट के निर्देश पर वायुसेना की फिर कोर्ट ऑफ इनक्वायरी बैठी. आखिरकार उस कोर्ट ऑफ इनक्वायरी ने अपनी जांच में माना कि संजय झा भगोड़ा नहीं लापता है. घटना के पांच साल बाद उसे 16 नवंबर 2004 से लापता घोषित किया गया. उसके बाद हाइकोर्ट ने दिसंबर 2009 में केस का निबटारा करते हुए लापता जवान के आश्रित को सभी विभागीय सुविधाएं उपलब्ध कराने का आदेश दिया. 

- विभाग ने माना भगोड़ा घोषित करने का फैसला भारी चूक

हाइकोर्ट के निर्देश पर आयोजित सेना की कोर्ट ऑफ इनक्वायरी ने भी माना कि विभाग द्वारा शुरू से श्री को भगोड़ा घोषित करने का फैसला भारी चूक है.  

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पत्नी- ममता झा (33) : शादी के कुछ महीनों बाद ही ऐसी घटना ने मेरी सारी खुशियां छीन ली. घटना के समय वह गर्भवती थी. 2005 के मार्च में उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया. आद्या झा (निक्की) आठ साल की हो गयी. उसका इतना दुर्भाग्य कि पिता को देखना भी नसीब नहीं हुआ. वह बोलती है, मुङो पापा चाहिए. सरकार मेरे पति को ढ़ूंढ़ कर दे.
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मां- सूर्यकला देवी (57) :  कहती है, बहुत गरीबी में बेटे को पढ़ाने व लायक बनाने में जीवन का हर कष्ट ङोला. जब बेटा लायक बना और सहारा देता, तो बेटा ही लापता हो गया. इससे दुखदायी और क्या होगा एक मां के लिए. आठ साल से बेटे की बाट जोहते-जोहते अब आंखें भी पत्थर बन गयी है. यही चाहती हूं, भगवान बेटे से मिला दे या हमें मौत दे दे.
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पिता- दुर्गानंद झा (62) :  एक पिता के लिए बेटे के इतने बड़े पोस्ट पर काम करना बड़े गर्व की बात होती है, लेकिन बेटे के लापता होने की घटना ने मानसिक बीमार बना दिया. आज बेटा बुढ़ापे में सहारा देता, लेकिन इतनी उम्र में पेट चलाने के लिए नौकरी करना पड़ रहा है. यही चाहता हूं कोई भी ऐसा हो जो मेरे बेटे को दिला दे. 

- घरवालों की मांग मामले की सीबीआई जांच हो
इस मामले में तत्कालीन रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी से लेकर वर्तमान रक्षा मंत्री एके एंटनी भी जांच कराने का आश्वासन दिया, लेकिन नतीजा सिफर रहा. यहां तक कि प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से भी मामले की जांच कराने का आश्वासन पत्र के माध्यम से दिया गया, लेकिन कुछ नहीं हुआ. कोर्ट के आदेश पर जांच के बाद विभाग ने संजय को भगोड़ा से लापता माना. आठ साल से परिवार की गुहार को कोई सुनने वाला नहीं, कि आखिर संजय ड्यूटी से कैसे लापता है. उस दिन पठानकोट कैंप में क्या हुआ था ? आठ साल हो गये, लेकिन अब तक संजय का पता क्यों नहीं लग सका. घरवालों की मांग है कि मामले की सीबीआइ से जांच करायी जाए, जिससे सच्चई सामने आये. 
 
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