क, ख, ग. जैसे शब्दों से आज तक नहीं हुआ सामना
बचपन की दहलीज पर पहुंचते ही पेट चलाने के लिए विवश
विकास गुप्ता कोलकाता


बिडन
स्ट्रीट का बेथुन कॉलेजिएट स्कूल. मौका माध्यमिक परीक्षा के रिजल्ट की
घोषणा का. स्कूल परिसर में छात्राओं का जमघट. अचानक रिजल्ट की घोषणा हुई.
नंबर जानने की उत्सुकता में सारे नोटिस बोर्ड के पास एकत्रित हुए.
धीरे-धीरे माहौल उत्साह से भर गया. पास होने वाली छात्राएं खुशी से झूम
उठी. इसी बीच अचानक स्कूल के गेट पर नजर गयी. छात्राओं की हरकतों को
हैरतअंगेज निगाहों से कुछ मासूम बो लगातार देख रहे थे. उम्र में वे करीब
छह-सात वर्ष के होंगे. वे स्कूल में रोज से अलग इस जश्न भरे माहौल को हैरान
होकर देख रहे थे. इसी बीच स्कूल के दरवान की डांट खाकर इधर-उधर भाग जाते.
दो मिनट के बाद गेट पर फिर से आकर खडे. हो जाते. सवालों से भरी मासूमों की
निगाहें मानो पूछ रही हो : क्या हो रहा है अंदर? किसी पार्टी की तैयारी तो
नहीं हो रही ? सभी छात्राएं किस बात पर इतना उत्साहित है ? उनके सवालों का
जवाब देने वाला कोई नहीं. इसी बीच एक बो ने स्कूल से बाहर निकल रही महिला
से डरते हुए पूछ दिया : अंटी, क्या हो रहा है अंदर? बाों के गंदे पोशाक व
उससे भी गंदे शरीर को देख कर जवाब देने के बजाय महिला उन्हें फटकारते हुए
चली गयी. इसी तरह काफी देर तर वे बो स्कूल के दरवाजे के बाहर खडे. होकर
अंदर के तमाशा देखते रहे. इस दौरान कई लोग अंदर घुसे और बाहर भी निकले.
उन्हें देखा तो सब ने, लेकिन गौर किसी ने नहीं किया. कुछ ऐसा ही अक्सर इनके
साथ होता है. ये रहते तो हैं सबके बीच, लेकिन इनकी मासूमियत को हर कोई
अनदेखा कर निकल जाते हैं. दरवाजे पर खडे. बो से परिचय पूछने पर वह कहने लगा
: मैं नदीम और ये मेरा दोस्त कमल, दोनों पास के होटल में काम करते हैं.
होटल में खाना खिलाते व बर्तन साफ करते हैं. दोनों बाों को माध्यमिक
परीक्षा के बारे में सारी जानकारियां दी गयी. हैरानी की बात तो यह है कि
पढ.ाई की बात सुन कर वे अचरज में पड. गये. नदीम ने कहा, उसने आज तक पढ.ाई
नहीं की. कमल ने कहा उसने एक बार अपनी मां से पढ.ाई को लेकर पूछा था. लेकिन
घर खर्च चलाने के लिए मां ने स्कूल की जगह काम पर भेज दी. तब से वे लगातार
होटलों में काम कर रहे हैं. हैरानी की बात तो यह है कि एक ओर सरकार गरीब
बाों को शिक्षा से जोड.ने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत बिना खर्च
पढ.ाई व स्कूल में भोजन तक की व्यवस्था कर रही है. वहीं दूसरी तरफ अभिभावक
की नासमझी व आर्थिक तंगहाली के कारण इस तरह के मासूम आज भी शिक्षा से कोसों
दूर भटकते नजर आ रहे हैं. नोट : बाों के नाम बदल दिये गये हैं.