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देश में अचानक से बढ़ी पूछ और मिली इज्जत के कारण कुछ झाड़ुओं का दिमाग सातवें आसमान पर हैं. उनमें श्रेय लेने की होड़ सी मची है. एक तरफ मोदी झाड़ू कहता फिर रहा है कि सारा मान मेरी वजह से मिला है, क्योंकि गांधी जयंती पर मुङो ही प्रधानमंत्री ने अपने हाथों में लेकर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी. वहीं केजरी झाड़ू कह रहा है कि आम आदमी पार्टी का चुनाव चिह्न बन कर इसकी शुरुआत मैंने की, जब दिल्ली से लेकर पूरे देश में पार्टी के समर्थक झाड़ू लेकर निकलते थे. वहीं नगर निगम व नगर पालिका झाड़ुओं ने दोनों झाड़ुओं की दावेदारी पर कड़ी आपत्ति जतायी है, उनका कहना है ये लोग सिर्फ सुर्खियां बटोरने में लगे हैं, असली काम तो वर्षो से हम लोग करते आ रहे हैं. झाड़ुओं के बीच इस तरह की बयानबाजी और विवाद को बड़े-बुजुर्ग-बुद्धिजीवी झाड़ुओं ने गंभीरता लिया और रामलीला मैदान में महासभा बुलायी. सहासभा में देश भर से रेल व ट्रकों में लद-लद कर भारी संख्या में झाड़ू पहुंचे. कोई आम आदमी पार्टी की टोपी लगाये था, तो कोई भगवा पट्टी धारे. कई ग्लैमरस भी थे तो कइयों की रईसी उनके मोटापे से पता चल रही थी. खैर, भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच सभा शुरू हुई. सभा में बोलते हुए आडवाणी झाड़ू के खुशी के आंसू छलक पड़े, जब उन्होंने कहा : एक वक्त
था जब ये बड़े लोग हमें देखना तक पसंद नहीं करते थे. गलती से घर के किसी कोने में हम दिख गये तो शामत आ जाती थी. हमें किसी दरवाजों के कोने में, कहीं अंधेरी कोठरी में फिंकवा दिया जाता था, जहां हमारा दम घुटता रहता था. हमारा कभी किसी ने ख्याल नहीं किया. आज नेता से लेकर अभिनेता, खिलाड़ी से लेकर बुद्धिजीवी, उद्योगपति से लेकर समाजसेवी, देश के नामचीन से लेकर गली-मोहल्लों के नामचीन भी, जिसे देखो हमारे साथ फोटो खिंचवाने में लगे हुए हैं. जमाने से जिनसे बेइज्जती ङोलते आ रहे थे, आज वही कलेजे से लगा रहे हैं. सदियों बाद हमारा मोल लोगों को समझ आया है, जिसे हम गंवाना नहीं चाहते. इसीलिए आप लोगों से विनती है कि मनमुटाव दूर करके अपनी बिरादरी के मान को बढ़ाने के लिए काम करें. इसके बाद नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई.
था जब ये बड़े लोग हमें देखना तक पसंद नहीं करते थे. गलती से घर के किसी कोने में हम दिख गये तो शामत आ जाती थी. हमें किसी दरवाजों के कोने में, कहीं अंधेरी कोठरी में फिंकवा दिया जाता था, जहां हमारा दम घुटता रहता था. हमारा कभी किसी ने ख्याल नहीं किया. आज नेता से लेकर अभिनेता, खिलाड़ी से लेकर बुद्धिजीवी, उद्योगपति से लेकर समाजसेवी, देश के नामचीन से लेकर गली-मोहल्लों के नामचीन भी, जिसे देखो हमारे साथ फोटो खिंचवाने में लगे हुए हैं. जमाने से जिनसे बेइज्जती ङोलते आ रहे थे, आज वही कलेजे से लगा रहे हैं. सदियों बाद हमारा मोल लोगों को समझ आया है, जिसे हम गंवाना नहीं चाहते. इसीलिए आप लोगों से विनती है कि मनमुटाव दूर करके अपनी बिरादरी के मान को बढ़ाने के लिए काम करें. इसके बाद नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई.
संघ के अध्यक्ष पद के लिए मोदी झाड़ू और केजरी झाड़ू आमने-सामने आ गये, जबकि उपाध्यक्ष के लिए ड्रीम गर्ल झाड़ू, बिग बी झाड़ू, अंबानी झाड़ू, सलमान झाड़ू, कमल हासन झाड़ू, जेटली झाड़ू, सचिन झाड़ू ने दावेदारी पेश की. वहीं महासचिव बनने के लिए थरूर झाड़ू, स्मृति ईरानी झाड़ू, कुमार विश्वास झाड़ू, राजू श्रीवास्तव झाड़ू, कैलाश खेर झाड़ू, कैफ झाड़ू जैसे कइयों ने दावा ठोंका.
बवाल तब शुरू हुआ जब गुटों में बंट कर झाड़ू नारेबाजी करते हुए एक दूसरे पर कीचड़ उछालने लगे. फिल्म स्टार झाड़ुओं का नेतृत्व करते हुए अमिताभ झाड़ू ने कहा : हमारी वजह से ही झाड़ू फैशन सिंबल बना. वहीं उद्योगपति झाड़ुओं की ओर से अंबानी झाड़ू बोला : अरे, हम न होते तो पैसेवालों से तुम्हें मोल न मिलता. थरूर झाड़ू बोला : अरे मेरी वजह से ही तो दूसरी पार्टियों के लोगों ने भी तुम्हें पूछा. इतने में स्मृति ईरानी झाड़ू व कुमार विश्वास झाड़ू समर्थकों में झोंटा-झंटौव्वल हो गया. देखते ही देखते पूरे मैदान में हंगामे की स्थिति हो गयी. मंच से कैलाश खेर झाड़ू व राजू श्रीवास्तव झाड़ू ने गीत और हास्य से माहौल शांत करने की कोशिश भी की, लेकिन उन्हें कचरा फेंक कर नगर पालिका झाड़ुओं ने भगा दिया. आलम यह हुआ कि सारे झाड़ू तो चले गये और मैदान गंदा छोड़ गये.