चोट खाकर जो दिल कभी पत्थर हुआ था,

फिर आहत न होने की जिद पे अड़ा था.

वो करीब आयी तो फिर धड़कने लगा था,

जख्मों को भूल कर नरम होने लगा था.

नरमी पर वो आयी बड़ी बेरहमी से पेश,

लुट गयी इज्जत जो भी बची थी शेष.

इस आखिरी बार में एेसा वार हुआ,

दिल ने तोड़ा दम, मौत का एहसास हुआ.


-राहुल मिश्रा
 
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