राहुल मिश्र,
चाय की केतली लिये नन्हा रंजीत जब गली से गुजरता है. उसके अंदाज से लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट आ ही जाती है. वह अपने स्टाइल में लोगों से हाल पूछता है : की होइस, की खाइस? जवाब में कोई कहता गली का हीरो गुजर रहा है. कोई उसके बालों में हाथ फिरा देता. कोई बॉस पुकारता तो कोई उसी के अंदाज में उसका हाल पूछ लेता. रंजीत कोलकाता के व्यस्ततम इलाके में एक चाय की दुकान पर काम करता है. उसकी उम्र 10 साल से अधिक नहीं होगी. दुकान पर चाय बांटने के साथ वह दफ्तरों में चाय पहुंचाने जाया करता है. उसकी चंचल और बेफिक्र हरकतें दफ्तर के शांत वातावरण को कुछ पल के लिए उत्साहित कर देती है. अधिकतर लोग उसके पास आने पर काम रोक कर उससे कुछ न कुछ गुफ्तगू कर ही लेते हैं. जब वह चाय देते हुए कंप्यूटर स्क्रीन पर लिखी अंगरेजी की पंक्तियां साफ-साफ और फर्राटे से पढ़ देता है. राजनेताओं व फिल्मी हस्तियों की तसवीर देख कर उनके नाम और परिचय बता देता है, तो कई चकित हो जाते हैं. कई पीठ थपथपाते हैं. कुछ देर के लिए रंजीत से शुरू चर्चा देश की बदहाली तक पहुंच जाती है. गरीबी, शोषण, करप्शन की बातें जोर-जोर से होने लगती है. उस दौरान चायवाले बच्चे के हमदर्द कई हो जाते हैं. उससे पूछा जाता : स्कूल क्यों नहीं जाता? यहां कोलकाता कौन लाया?  घर पर कौन-कौन है? पिताजी क्या करते हैं?  मां की याद नहीं आती? रंजीत को इन सवालों से अधिक फर्क नहीं पड़ता. इन सवालों का जवाब देते-देते वह थक चुका होता है. जवाब देने से बेहतर दफ्तर में लगी टीवी देखना अधिक पसंद करता है. बार-बार कोई पूछ दिया तो कहता है : मां के पास जाना तो चाहता हूं, लेकिन किसके साथ जाऊं. स्कूल जाना भी चाहता हूं, लेकिन मां-बाप ने यहां भेज दिया. यहां दुकान पर सुबह से रात तक कोई न कोई काम रहता ही है. मेरे साथ और भी कई लड़के काम करते हैं. एक नया लड़का आया है, वह अकेले में रोता रहता है. मां की याद आने पर मैं भी रोता था. अब नहीं रोता. वह भी धीरे-धीरे ठीक हो जायेगा. देखियेगा, एक दिन मैं भी बहुत बड़ा आदमी बनूंगा. बहुत पैसा होगा मेरे पास. नरेंद्र मोदी भी तो चाय की दुकान पर काम करते थे.
नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनें न बनें, इस बच्चे के लिए प्रेरणा तो बन ही गये हैं. सिर्फ रंजीत ही नहीं, देश के न जाने कितने चाय दुकानों पर काम करनेवाले बच्चे उन्हें अपना आदर्श मान लिये होंगे. सवाल है कि रंजीत के तो हौसले काफी बुलंद हैं, लेकिन क्या वह सही रास्ते आगे बढ़ सकेगा? क्या वह प्रधानमंत्री बन पायेगा?
 
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