मिस्टर लोला, भोला-भाला,
रंग सांवला, मन बांवला,
चश्मा पहने, ढीला-ढाला.
कपड़े मैला, कांधे थैला,
रगड़े चप्पल, मुंह रहे खुला.
ऊंट सी गर्दन, है तोंदवाला,
खाये ठोकर, जाये धकेला.
गिरते-संभलते, झाड़े मैला,
खिल्ली उड़ाये, सारा मोहल्ला.
मां का लाडला, बाप का झमेला,
हंसे न रोये, रहे मस्तमौला.
न करे राम-राम, न अली-मौला,
सिनेमा देखे, पीये कोका-कोला.
न भाये दुनियादारी, न हो-हल्ला,
बस दूरबीन से खोजे लैला.
कोई तोड़े दिल, कोई भोंके भाला,
ठोकरों से पड़ता, है हर दम पाला.
सहता सब कुछ, नहीं किसी से गिला,
कुछ ऐसा ही है, अपना मिस्टर लोला.
-राहुल मिश्र